अनमोल उपहार..
धरती पर ईश्वर का वरदान,
प्रकृति है धरती की शान..
प्रकृति है ईश्वर की देन,
जिस पर इठलाता स्वयं भगवान्!
छवि है इसकी कितनी निराली,
सुन्दरता से ये भरपूर..
रूप इसका इतना निराला,
हर नज़र को मोहने वाला!
नदी-झरनों की चंचल लहरें,
कल-कल, कल-कल करती शोर..
पंछी गाते गीत सुरीले,
रवि-किरणों में जब होती भोर!
प्रकृति की रक्षा कर,
रखना है हमें उसका मान..
दिया मानवजाति को जिसने,
प्रकृति की गोद का दान!
पाकर प्रकृति रुपी अनमोल उपहार,
भारत देश बना महान..
आओ मिलकर प्रण करें हम,
बनाए रखेंगे प्रकृति की शान..!!
©....kavs"हिन्दुस्तानी"..!!
प्रकृति है धरती की शान..
प्रकृति है ईश्वर की देन,
जिस पर इठलाता स्वयं भगवान्!छवि है इसकी कितनी निराली,
सुन्दरता से ये भरपूर..
रूप इसका इतना निराला,
हर नज़र को मोहने वाला!
नदी-झरनों की चंचल लहरें,
कल-कल, कल-कल करती शोर..
पंछी गाते गीत सुरीले,
रवि-किरणों में जब होती भोर!
प्रकृति की रक्षा कर,
रखना है हमें उसका मान..
दिया मानवजाति को जिसने,
प्रकृति की गोद का दान!
पाकर प्रकृति रुपी अनमोल उपहार,
भारत देश बना महान..
आओ मिलकर प्रण करें हम,
बनाए रखेंगे प्रकृति की शान..!!