तो जा ज़िन्दगी तुझसे भी कोई गिला नहीं...!!
ज़िन्दगी दूसरों को समझने में गुज़री जिसकी...
उसे समझने वाला कोई मिला ही नहीं...!!
ए रिश्तों तुम्हें तो दिल से निभाया मैंने...
पर मेरी वफ़ा का तो कोई सिला ही नहीं...!!
मुद्दत से बसर थी गमें-ए-किरायेदार की जिसमें...
उस दिल में खुशियों को घर कभी मिला ही नहीं..!!
ग़मों से दोस्ती कर मुस्कराना सिख लिया था...
पर कल जो सूरज ढला वो आज खिला ही नहीं..!!
©....Kavs"हिन्दुस्तानी"..!!