Friday 15 August 2014


नया जन-प्रतिनिधि

बनकर नव जन-प्रतिनिधि
हुआ आगमन मंच पर,
नमन कराकर सबसे
यह शीलवान,
शुरू करता है आत्म-आख्यान .....

शिक्षा-व्यापार में हूँ मैं,
राजनीति के प्रसार में हूँ मैं.
लोक-सभा में भी मैं,
और शोक सभा में भी मैं..!

मेरा अहं ही सब पर हावी,
सब की किस्मत की मैं चाबी,
ख़्वाबों-ख़्यालों में ही सही...

नग्न के झोंपड़े में भी मैं,
इंसानी जूनूं के खोपड़े में भी मैं,
भोग-विलास में भी मैं,
निर्धनता की आस में भी मैं..!

नामौजूदगी में मेरी ,
ना हो कोई सौदा,
ना ही आंतरिक संधि,
ना ही कोई मसौदा क्योंकि...

हर व्यापार मैं भी मैं,
देश के सार में भी मैं,
कामगार में भी मैं,
और सरकार में भी मैं..!

तो समझ लूं..
मिलेंगें सब वोट मुझे ,
दावा है ये मेरे मन का,
पर प्रतिनिधि का नाम जानना,
अधिकार है जन-जन का....!

सोचते होगें
ये प्रतिनिधि है कैसा,
अरे अज्ञानी मतदाता..!
मेरा नाम है "पैसा"...!!💰 😎 💸

©....Kavs"हिन्दुस्तानी"..!!