Monday 15 April 2019

तेरी आँख का आँसू हूँ ...
चाहे तो अपना लो चाहे तो गिरा दो…. !

जो आँखों में रहूँगा ..
दिल की हर नमी सहूंगा ...!
जो ढलक गया अंखियों से… 
तेरे दर्द की कहानी कहूँगा ...!!

तेरी आँख का आँसू हूँ ...
चाहे तो अपना लो चाहे तो गिरा दो…. !

आशियाँ में रहा तो चमकता रहूँगा ...
कभी ख़ुशी कभी गम में झलकता रहूँगा ...
कराहटो में तेरी फफकता रहूँगा 
बेचैनी में सुकून देने को ढलकता रहूँगा ...

तेरी आँख का आँसू हूँ ...
चाहे तो अपना लो चाहे तो गिरा दो…. !

दुनिया की इस चकाचोंध से 
पलकों के पीछे सिहरता रहूँगा ..
दिखाने को रंगीन दुनिया की झलक 
सतरंगी बन आँखों में बिखरता रहूँगा ....

तेरी आँख का आँसू हूँ ...
चाहे तो अपना लो चाहे तो गिरा दो…. !

©.... Kavs"हिन्दुस्तानी"..!!

Wednesday 13 February 2019




बेसबब इश्क़ इंतज़ार ही तो है
लाख दूरी सही प्यार भी तो है..
बेपनाह बरसना आसमाँ का यूँही नहीं
धरती से मिलन का इज़हार ही तो है..!! 🌧

@Kavs"हिन्दुस्तानी"..!!

.........................हैप्पी वाला वेलंटाइन डे <3


Monday 21 January 2019


वक़्त-वक़्त की बात है, 
आज इसका, कल उसके साथ है..

दिन तो कितना उजला है,
फिर काली क्यों इतनी रात है..

जब खुशियाँ नहीं टिकती ज़िंदगी में,
तो गम रहता क्यों साथ है..

गहराती चुप्पियाँ खामोश हैं,
कोई करता क्यों नहीं बात है..

खड़ा अकेला घेर रहीं तनहाईयाँ..
देता क्यों नहीं कोई साथ है..

बाहर मौसम खुला-खुला..
अंदर क्यों बरसात है..

भूमि जब बंजर पड़ी..
दिखती कैसे हरी घास है..

मृतप्रायः इंसान यहाँ..
लेते कैसे ये साँस हैं..

ऊपर-ऊपर मुस्कराते
दिल में लिए आघात हैं..

रूखी-रूखी मरूभूमि ..
कहीं बहते जल-प्रपात हैं..

बनते-बिगड़ते रोज़ रिश्ते यहाँ..
फिर भी ज़िंदा अहसास हैं..

जाने सफ़र में मिलते कितने..
होता नहीं हर कोई खास है..

जो थाम सके तुझको..
बस वही विश्वास है...

मृगतृष्णा में भटक रहा..
बीत रहा जो पास है..

जिजीविषा ढूँढ रही..
आस में अभिलाष है..

वक़्त- वक़्त की बात है..
आज इसका, कल उसके साथ है..!!

©....Kavs"हिन्दुस्तानी"..!!

Tuesday 2 October 2018


ज़िन्दगी क्या है??

ज़िन्दगी वो है जिसे करके तुम्हें ख़ुशी मिले, सच्ची ख़ुशी। वो ख़ुशी किसी भी चीज़ में छुपी हो सकती है। अब ये ढूँढना तुम्हारा काम है क्योंकि महसूसना तुम्हें है कि क्या चीज़ तुम्हे ख़ुशी देती है।

जैसे किसी को टिमटिमाती लाइट्स, जगमगाहट पसन्द है, तो किसी को प्रकृति; किसी को बागबानी तो किसी को घूमना; किसी को दोस्तों संग मिलना- जुलना, तो किसी को शांत रहकर खुद के साथ वक़्त बिताना; कोई किताबों को देखकर भागता है तो किसी को किताबें खुद पास बुलाती है; कोई ऊन के फंदों में ज़िन्दगी ढूंढ लेता है, तो कोई शब्दों को बुन लेता है जी।

ज़िन्दगी तो आपके आसपास ही बिखरी पड़ी है, ढूंढेंगे तो मिल जाएंगी। बस जरूरत है उस तक अपनी पहुँच बनाकर उसे धप्पा करने की..  ;) 😊 💕 🎶🎵

Sunday 30 September 2018



कभी कभी कुछ कर्म ..
चाहते नहीं करना हम ...
क्योंकि कौन चाहता है ..
खोना अपनों को ....

फिर भी करने पड़ते हैं ..
भिन्न भिन्न दृष्टिकोण ..
भिन्न भिन्न आयाम…
भिन्न भिन्न प्रकार से ..
भिन्न भिन्न सोच लिये….

कोई करता ..
आत्मिक संतुष्टि हेतु ..
तो कोई ..
दुखो को दूर करने को…
कोई करता ...
यश,कीर्ति,वृद्धि की चाह में ..
तो कोई ..
धर्म-आडम्बरो की राह में ..

पर कैसे मान लेते हैं हम ..
की जो हमारे पितर है ...
वो नाराज़ हो जायेंगे ...
मात्र पितर कर्म न किये जाने से ...???
या अमावस्या हो जाती है और काली ???

जब से जन्म लिया तब से
देखते आयें हैं हमेशा ही
माता -पिता तो सर्वस्व
लुटा देना चाहते हैं ..
अपने नन्हो के लिए
अपने बच्चों के लिए ..
तो कैसे सोच लेते हैं हम ..
कि पूर्वज अपनों का
कर सकते हैं अहित कभी ..?

किया जाता है मेरे द्वारा भी
पितर कर्म ....
जो एक ब्रह्म-आडम्बर न होकर
तर्पण है  मेरे भावो का ...
अर्पण है मेरे मन का  ..
जो चलना चाहता था ..
उनकी ऊँगली थाम के ..
जीवन की उहापोह के
विभिन्न रंगों को साथ लेकर ..
बांटना चाहता था अपना सब ..
जो रह गया शेष ...
नियति की क्रूरता के आगे
विवश होकर ...

मन  पाना  चाहता था ..
आशीष के कुछ अंश ..
अपने हिस्से के ..
जो मिलने से पहले ही
छिन गये मुझसे ...
वो ख़ुशी के पल ..
जो मेरे घर आने से पहले ही
मुड गये जाने किस राह पर ..

सुना है दादा, दादी ..
बहुत प्यार करते हैं ..
अपने मूल से अधिक
अपने ब्याज से ..
कितने प्यारे से रिश्ते  ..
जिन्हें कभी जुबान पर
आने का मौका ही नही मिला ..
माँ को बेटी द्वारा
दिया जाने वाला
साड़ी का उपहार ..
जिसमे सिमट जाते हैं
जिंदगी के कुछ पल
ठहर से जाते है
वक़्त को रोकते हुए से ....
भाई की कलाई ...
जो पल पल याद आये ..
अब नही है पर 
दिल समझ न पाए ...

पितर कर्म मेरे लिए है ..
अपनों के होने का अहसास
जिंदगी भागदौड़ से दूर
कुछ निवाले फिर से अपनों के साथ ..
ब्राह्मण को क्यों मै ढूढ़ने जाऊं ..
जब घर का सबसे छोटा बच्चा हो खास
जो सबसे न्यारा होता ..
सबकी आँखों का तारा होता ..
उससे मासूम भला क्या होगा ..
वही तो पितरो की दुआ में होगा ..

पितर कर्म कुछ ख़ास होता है….
मन बीत चुके लम्हों के पास होता है ...
जो जीवन शेष रहने तक
जुड़े रहेंगे हमसे ...
उन अपनों के होने का अहसास होता है ....

©....kavs"हिन्दुस्तानी"..!!

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किसी की भावनाओ को आहात करने का कोई उद्देश्य नही .. अपितु अपने विचारो की प्रस्तुति मात्र है…