Friday 25 September 2015


सबक

ज़िंदगी की पाठशाला में,
पढ़ाये गये थे जो सबक़..
सबने पढ़े, गढ़े और..
आगे बढ़ गये..
ऐसा क्या था..?
जो मैं पढ़ नहीं पायी..
सफलता की सीढ़ियाँ 
चढ़ नहीं पायी..
आज मिला है 
उस किताब का 
एक फटा हुआ पन्ना
जिस पर धुंधले-से
अक्षरों में लिखा है-
.... "स्वार्थ"..!!

©....Kavs"हिन्दुस्तानी"..!!