Saturday 10 December 2016



आज 
फिर..

तितलियों ने
झंझोड़ डाला
अपने पंखो को...

उसकी खुशियों को
उसके रंगों को

पल-पल
रूप बदलती
ज़िन्दगी की
बिसात पर..!!

     ©....Kavs"हिन्दुस्तानी"..!!



Sunday 2 October 2016



देखे जो रंग ज़माने के
अपनों के बेगानों के
इंद्रधनुष ज़िन्दगी का
सुर्ख़ स्याह हो गया।

खोली जो किताब
करने को हिसाब
धूमिल ज़िन्दगी का
हर फ़लसफ़ा हो गया।

बैठे जो सोचने
खुद ही को कोसने
सफ़र ज़िन्दगी का
क्यों खफ़ा हो गया।

किससे करें शिक़वा
क्या शिकायत करें
मुज़रिम ज़िन्दगी का
दिल हर दफा हो गया।

बेरुखी की रवायत
गमों की इनायत
चेहरा ज़िन्दगी का
किस कदर सफ़ा हो गया।

©....Kavs"हिन्दुस्तानी"..!!

Sunday 3 July 2016



"खो गया जाने कहाँ, जीवन से हर्ष और उल्लास..
थकन भरी है ज़िन्दगी, गम है सबके पास.."
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 ये लाइन पढ़ी थी कहीं, अच्छी लगी। इन पंक्तियों ने ही इस रचना को रचने के लिए प्रेरित किया।
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खो गया जाने कहाँ, जीवन से हर्ष और उल्लास

थकन भरी है ज़िन्दगी, गम है सबके पास।


बेहताशा भागदौड़, सुख-साधन जुटाने को

तरस गया इंसान, खुद से ही मिल पाने को।


छूटा अपनों का साथ, मन में रह गयी मन की बात

बोझिल हो रहा तन-मन, बीतते जाते दिन और रात।


ठहर मुसाफिर सोच जरा, क्या पा रहा क्या खो रहा

खुशियां लेने निकला था, पर खून के आंसू रो रहा।


पड़ा जो पर्दा आँख पर, उतार दे कर दरकिनार

खोल दे बाहों के पाश, जीवन को तू कर स्वीकार।


सुन सुर हवाओं के, जीवन के नए साज़ पर

लिख ले गीत नये, अपने दिल की आवाज़ पर।


जो बिखर गये समेट उन्हें, बुन सपनों का ताना-बाना,

जीवन में हो हर्ष उल्लास, तो हर पल लागे गीत सुहाना।

©....Kavs"हिन्दुस्तानी"..!!

Sunday 5 June 2016


      करते हो क्या सांझेदारी...?

ईशवर ने किया प्रकृति का रूप-निखार....,
मानव की लालसा ने इसमें पैदा किया विकार....!

हर तरफ आगे बढ़ने की होड़ बढ़ रहा जिस से...,
वायु प्रदुषण, जल प्रदुषण और ध्वनि का शोर....!

वातावरण को दूषित करने में है सबकी भागेदारी....,
क्यों पर्यावरण संतुलन, शुद्धता में नहीं कोई सांझेदारी.....???

पर्यावरण का संतुलन, संरक्षण है पहली आवश्यकता हमारी....,
पेड़ लगाकर प्रदुषण पर नियंत्रण लगा करनी है सबको सांझेदारी..!!

©....Kavs"हिन्दुस्तानी"..!!