Sunday 30 September 2018



कभी कभी कुछ कर्म ..
चाहते नहीं करना हम ...
क्योंकि कौन चाहता है ..
खोना अपनों को ....

फिर भी करने पड़ते हैं ..
भिन्न भिन्न दृष्टिकोण ..
भिन्न भिन्न आयाम…
भिन्न भिन्न प्रकार से ..
भिन्न भिन्न सोच लिये….

कोई करता ..
आत्मिक संतुष्टि हेतु ..
तो कोई ..
दुखो को दूर करने को…
कोई करता ...
यश,कीर्ति,वृद्धि की चाह में ..
तो कोई ..
धर्म-आडम्बरो की राह में ..

पर कैसे मान लेते हैं हम ..
की जो हमारे पितर है ...
वो नाराज़ हो जायेंगे ...
मात्र पितर कर्म न किये जाने से ...???
या अमावस्या हो जाती है और काली ???

जब से जन्म लिया तब से
देखते आयें हैं हमेशा ही
माता -पिता तो सर्वस्व
लुटा देना चाहते हैं ..
अपने नन्हो के लिए
अपने बच्चों के लिए ..
तो कैसे सोच लेते हैं हम ..
कि पूर्वज अपनों का
कर सकते हैं अहित कभी ..?

किया जाता है मेरे द्वारा भी
पितर कर्म ....
जो एक ब्रह्म-आडम्बर न होकर
तर्पण है  मेरे भावो का ...
अर्पण है मेरे मन का  ..
जो चलना चाहता था ..
उनकी ऊँगली थाम के ..
जीवन की उहापोह के
विभिन्न रंगों को साथ लेकर ..
बांटना चाहता था अपना सब ..
जो रह गया शेष ...
नियति की क्रूरता के आगे
विवश होकर ...

मन  पाना  चाहता था ..
आशीष के कुछ अंश ..
अपने हिस्से के ..
जो मिलने से पहले ही
छिन गये मुझसे ...
वो ख़ुशी के पल ..
जो मेरे घर आने से पहले ही
मुड गये जाने किस राह पर ..

सुना है दादा, दादी ..
बहुत प्यार करते हैं ..
अपने मूल से अधिक
अपने ब्याज से ..
कितने प्यारे से रिश्ते  ..
जिन्हें कभी जुबान पर
आने का मौका ही नही मिला ..
माँ को बेटी द्वारा
दिया जाने वाला
साड़ी का उपहार ..
जिसमे सिमट जाते हैं
जिंदगी के कुछ पल
ठहर से जाते है
वक़्त को रोकते हुए से ....
भाई की कलाई ...
जो पल पल याद आये ..
अब नही है पर 
दिल समझ न पाए ...

पितर कर्म मेरे लिए है ..
अपनों के होने का अहसास
जिंदगी भागदौड़ से दूर
कुछ निवाले फिर से अपनों के साथ ..
ब्राह्मण को क्यों मै ढूढ़ने जाऊं ..
जब घर का सबसे छोटा बच्चा हो खास
जो सबसे न्यारा होता ..
सबकी आँखों का तारा होता ..
उससे मासूम भला क्या होगा ..
वही तो पितरो की दुआ में होगा ..

पितर कर्म कुछ ख़ास होता है….
मन बीत चुके लम्हों के पास होता है ...
जो जीवन शेष रहने तक
जुड़े रहेंगे हमसे ...
उन अपनों के होने का अहसास होता है ....

©....kavs"हिन्दुस्तानी"..!!

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किसी की भावनाओ को आहात करने का कोई उद्देश्य नही .. अपितु अपने विचारो की प्रस्तुति मात्र है…

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