कडवे तो फल भी निकलते है
रिश्तों में मिठास होनी चाहिए..
नरम तो स्वाभाव भी होता है
भावों में दृढ़ विश्वास होना चाहिए...
बहते तो आंसू भी है
विश्वास में जमाव होना चाहिए....
बोलना तो सबको आता है
विचारों में गहराव होना चाहिए...
बदलते तो मौसम भी हैं
मन में ठहराव होना चाहिए...
डगमगाता तो होंसला भी है
क़दमों में थमाव होना चाहिए...
डर तो प्रवृति है रोकने की
संघर्ष में आत्मविश्वास का बढ़ाव होना चाहिए...
निर्भरता में भी कट जाती है जिंदगी
स्वाभिमान में आत्मनिर्भरता का गुणाव होना चाहिए...
बनावट तो शब्दों में भी होती है
आँखों में निश्चित आकार होना चाहिए...
शौहरत तो पैसे से भी मिल जाती है आदमी को
इंसान की पहचान उसका व्यवहार होना चाहिए...
©....Kavs"हिन्दुस्तानी"..!!
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