Thursday 10 March 2011

राजनीति के गलियारों से....

         सरहद

दो जिस्म एक जान
हुआ करते थे
एक-दूजे के दिलों का
अरमान हुआ करते थे......

दो हाथ, दो पांव
तेरे भी थे,मेरे भी थे
दोनों सीनों में दिल
एक-सा धड़कता था
जो प्यार और अपनेपन
के लिए तड़पता था........

न जाने कब
इन दिलों के बीच
दीवार बड़ी हो गयी
जो सरहद बन कर
दो मुल्कों के बीच
खडी हो गयी.....



©....Kavs"हिन्दुस्तानी"..!!

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      राजनीति बनाम बिज़नस

राजनीति अर्थात 
राज करने की नीति में
अब ठन गई है
बदलते स्वरुप में
राज को लूट कर
घर भरने की नीति
अब बन गयी है....!

कुर्सी के लिए देखो
कैसी मची लूट है
भाई-भतीजावाद की
पूरी-पूरी छूट है
लालच की भरमार है
राजनीति का बदल
गया पारावार है......!

जनता बस वोट बैंक
पाने का हथियार है
सत्ता हाथ में आते ही
कर दी जाती दरकिनार है
नेता नही बिचौली हैं
जनता और सत्ता के
बीच खेलें आँखमिचोली हैं.....!

देशभक्ति के नाम पर
दिया जाता जो धरना है
दरअसल और कुछ नहीं
जनता की आँख बचा कर
देश का पैसा भी तो
स्विस बैंक में भरना है.....!

तो भैया राजनीति
अब देशभक्ति नही
पैसा कमाने का जरिया है
दिखावे के उसूलों और
ताकत के रसूख पर
बिज़नस करने का
अपना-अपना नजरिया है....!!

©....Kavs"हिन्दुस्तानी"..!!



  



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