मंज़ूर नहीं
मुझे
भीड़ का
हिस्सा बनना..
धड़कते दिल की
ख़ामोश
आवाज़ हूँ..
सुख-दुख की
धुन पर
बिखरता- संवरता..
ज़िन्दगी का
एक
बेतरतीब साज़ हूँ..!!
वक़्त की
उथल-पुथल
दबाए
सीने में..
गुमनाम-सा
परिंदा
एक..
खुले आसमां में
उड़ता
बेपरवाज़ हूँ..!!
©....Kavs"हिन्दुुस्तानी"..!!
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