Wednesday 27 June 2018


मंज़ूर नहीं 
मुझे 
भीड़ का 
हिस्सा बनना..

धड़कते दिल की
ख़ामोश
आवाज़ हूँ..

सुख-दुख की 
धुन पर
बिखरता- संवरता..
ज़िन्दगी का 
एक 
बेतरतीब साज़ हूँ..!!

वक़्त की
उथल-पुथल
दबाए
सीने में..

गुमनाम-सा
परिंदा
एक..
खुले आसमां में
उड़ता 
बेपरवाज़ हूँ..!!

©....Kavs"हिन्दुुस्तानी"..!!

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