Saturday 14 July 2018

ज़िन्दगी तू तो मेरी थी ही नहीं कभी ...
दूसरों में खुद को ढूँढना सिखाया मुझको ....!

तुझसे तो गिला भी क्या करना ...
दूसरों की ख़ुशी और उल्हानों में पाया खुद को…!

ज़िन्दगी है हादसों का शहर  ...
सुकून तो मौत ने दिखाया मुझको...!

सीने से लगा के ले तो गयी कम से कम ..
तूने तो कभी अपनाया ही नहीं मुझको ....!

शुक्राना तेरा इस मेहरबानी के लिए ..
औरों के लिए जीना सिखाया मुझको .... !!

©....Kavs"हिन्दुस्तानी"..!!

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