Monday 23 July 2018

गम-ए- फ़ौज़ थी
ख़ुशी एक मौज़ थी।
वफादार ज़िन्दगी में..

आवाज़ तराना था
ख़ामोशी अफ़साना था
लगातार ज़िन्दगी में।

कुछ पा लिए
कुछ खो दिए
अहसास ज़िन्दगी के।

कुछ अपना लिए
कुछ छोड़ दिए
विश्वास ज़िन्दगी के।

कुछ समेट लिया
कुछ बाँट दिया
प्यार ज़िन्दगी में।

कुछ सुख थे
कुछ दुःख थे
सदाबहार ज़िन्दगी में।

कुछ संवर गयीं
कुछ बिखर गयीं
याद ज़िन्दगी की।

हर्फ़ हर्फ़ दर्प दर्प
खोखली होती रही
किताब ज़िन्दगी की।

©....Kavs"हिन्दुस्तानी"..!!

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